जितिया का व्रत क्यों रखा जाता है?

महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य की मृत्यु पर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चलाया, जिससे उत्तरा की गर्भ में थे बच्चे की मौत हो गई। 

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भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ को जीवित कर दिया और बच्चे का नाम जीवितपुत्रिका रखा गया। 

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इसके बाद उत्तरा ने अपनी संतान की लंबी आयु के लिए माताएं जितिया का व्रत किया। 

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एक पेड़ पर चील और सियारिन रहती थीं, जिनकी दोनों में दोस्ती थी। एक दिन व्रत की तैयारी देखकर चील ने सियारिन को सुनाया और दोनों ने व्रत रखने का निश्चय किया। 

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परंतु भूख और प्यास से सियारिन भटक गई और व्रत भूल गई, जबकि चील ने निष्ठा से व्रत और पारण किया।

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चील और सियारिन ने अगले जन्म में राजा के घर जन्म लिया। चील ने सात बेटों को जन्म दिया, जबकि सियारिन के बच्चे मर गए। जलने से सियारिन ने चील के सात बेटों का मरवा दिया।  

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भगवान ने सियारिन के भेजे गए सिरों को जीवित किया। इसके बाद सियारिन अपनी गलती का पश्चाताप करती और दुखी होकर मर गई।  

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उसका दाह संस्कार पेड़ के पास हुआ। 

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